एक वेश्या थी . उसका एक नियमित ग्राहक था . काम से थक हार कर वह रोजाना उस वेश्या के पास अपनी भूख मिटाने आता और अपनी भूख मिटाकर घर लौट जाता. अपनी मजदूरी का कुछ भाग उसे दे जाता.
एक दिन उसे मजदूरी नहीं मिला . उसके पास पैसे नहीं थे . लेकिन भूख लगी थी . वह वेश्या के पास गया और अपनी भूख मिटाई. जाने लगा तो उस वेश्या ने अपना मजदूरी मांगी लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे . वेश्या ने अपनी मजदूरी के बदले उसके हाथ में बंधी हुई पुरानी दहेज़ कि घडी उतरवा ली .
वेश्या कहीं की . ग्राहक बडबडाया और चला गया .
एक दिन उसे मजदूरी नहीं मिला . उसके पास पैसे नहीं थे . लेकिन भूख लगी थी . वह वेश्या के पास गया और अपनी भूख मिटाई. जाने लगा तो उस वेश्या ने अपना मजदूरी मांगी लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे . वेश्या ने अपनी मजदूरी के बदले उसके हाथ में बंधी हुई पुरानी दहेज़ कि घडी उतरवा ली .
वेश्या कहीं की . ग्राहक बडबडाया और चला गया .
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