Thursday, February 24, 2011

बचपन

जब मैं बच्चा था
शरारत बहुत करता था
लोगों की डांट भी खानी पड़ती थी
अम्मीं के थप्पड़ भी बर्दाश्त करने पड़ते थे .


तब मैं सोचा करता था
बड़ा होऊंगा जल्दी
तब मुझे न खानी होगी
किसी की डांट न ही अम्मीं से डर होगा .


फिर मैं बड़ा हुआ
कोई डांटता तो नहीं अब
अम्मीं भी अब
संभाल कर बोलती हैं

लेकिन सुबह से शाम बहुत सारी
फ़िक्र होती है
कभी लोगों के ताने परेशान करते हैं
कभी रोटी की चिंता होती है .

कभी दोस्तों की मुस्कराहट में
मजाक उडाए जाने का एहसास होता है
सपने को पूरा न होते देख
बड़ी मायूसी सी लगती है .

अब रिश्तों से पहचान हो गयी है
रिश्तों को निभाना बड़ा मुश्किल लगता है
पता नहीं अब क्या करूं
काश मेरा बचपन लौट आता .

अम्मीं के थप्पड़ फिर से खाता
लोगों की डांट सुनकर मज़ा लेता
रिश्तों में काश बंधा न होता
सपनों की कोई परवाह न होती .

क्योंकि बचपन में रहना
खुद एक सपना है
काश खोदाया मेरी सुन लेता
और मैं फिर से बचपन में लौट गया होता

फिर न तमन्ना करता बड़े होने की
सिर्फ दुआ करता उस वक़्त के ठहर जाने की
जब मैं बच्चा था
शरारत बहुत करता था .

मंसूर





Tuesday, February 22, 2011

इज़हार

आज अचानक कुछ इकरार करने का दिल करने लगा है
अपने दिल के बोग्ज़ का इज़हार करने का दिल करने लगा है  
फिज़ा में मानों ग़ज़ल की समां बंध गयी  हो
ऐसा मुझे क्यों अचानक लगने लगा है  .

बिजली की कड़क में भी  नज़्म
के  मिठास  का  एहसास  होने  लगा  है
फूल  चाहे  कोई  भी  हो
गुलाब  ही  लगने  लगा  है

अब  दुश्मनों  से भी  दिल
लगाने   का  दिल  करने  लगा  है
पता  नहीं  क्यों
सब  फिर  से  अपना  लगने  लगा  है .

रात  में  जो  ख्वाब  मुझे  अक्सर
परेशां  करते  थे
अब  दिन  में  भी  उनसे
मुझे  उन्स  होने  लगा  है

मैं  नहीं  जानता  ये
बदलाव  क्यों  होने  लगा  है
सिर्फ वह    दिन याद  है  जब  मैं  तुमसे  मिला  था
उसी  दिन  से  मानो  सब  कुछ  बदलने  लगा  है .

मंसूर

Tuesday, February 8, 2011

प्रेमिका

मेरा दोस्त कहता है उसकी प्रेमिका
की आँखें बहुत नशीली हैं
मानो झांककर नाप ले उसमें
पूरे समंदर की गहराइयां.

मेरा दोस्त कहता है उसकी प्रेमिका
के गाल बहुत कोमल हैं
रुई से भी कोई मुकाबला नहीं
मानो थिरक रही हों हवा के हलके झोंकों पर .

मेरा दोस्त कहता है उसकी प्रेमिका
के होंठ गुलाबी हैं
पंखुड़ियों की तरह गुलाब के
मानो सफ़ेद बादल में लाली छा गयी हो .

मेरा दोस्त कहता है  उसकी प्रेमिका
की खुशबु बिलकुल अनोखी
कस्तूरी से भी ज्यादा मीठी
और हमेशा बरक़रार रहने वाली .

मेरा दोस्त कहता है उसकी प्रेमिका
कुदरत की एक कलाकारी है
जो युगों युगों में कभी कभी
विरले ही अवतरित होती हैं ज़मीन पर .

मेरी प्रेमिका में वैसा कुछ भी नहीं
सीधी साधी भोली भाली
बिलकुल काले बादलों का रंग
मानों खोदा ने उसे तिरस्कार के मूड में बनाया हो .

लेकिन उसकी चंचलता
उसकी बेबाकी
उसके नखरे
उसका अधिकार जमाने का मेरे ऊपर वो रवैया .

मुझे एहसास दिलाता है
मानो इश्वर ने उसे
मेरे लिए ही बनाया था
तिरस्कार से नहीं बलके बड़े प्यार से .

क्योंकि जानता था वह
रूप से मुझे क्या लेना देना
मैं तो पढ़ लेता हूँ मन को
वह मेरे मन की है और मैं उसके मन का .

वेश्या

एक वेश्या थी . उसका एक नियमित ग्राहक था . काम से थक हार कर वह रोजाना उस वेश्या के पास अपनी भूख  मिटाने आता और अपनी भूख मिटाकर घर लौट जाता. अपनी मजदूरी का कुछ भाग उसे दे जाता.
एक दिन उसे मजदूरी नहीं मिला . उसके पास पैसे नहीं थे . लेकिन भूख लगी थी . वह वेश्या के पास गया और अपनी भूख मिटाई. जाने लगा तो उस वेश्या ने अपना मजदूरी मांगी लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे . वेश्या ने अपनी मजदूरी के बदले उसके हाथ में बंधी हुई पुरानी दहेज़ कि घडी उतरवा ली .

वेश्या कहीं की . ग्राहक बडबडाया और चला गया .   

Monday, February 7, 2011

धर्म निरपेक्ष

वह किसी बड़े  देश का राजा था . उसके बारे में लोग कहते थे कि वह धर्म निरपेक्ष था . एक दिन वह अपने काफिले के साथ कहीं जा रहा था. रास्ते में उसे एक विशाल गिरजाघर मिला. गिरजाघर बहुत सुन्दर था . उसके मीनार में संगमरमर लगे थे . उसके फर्श और दीवारें सस्ते पत्थर के बने थे . उस गिरजाघर को देखकर राजा ने अपने मंत्रियों से कहा.  इस गिरजाघर के पास एक मंदिर बनाओ , जिसके दीवार , मीनार और फर्श पुरे संगमरमर के हों . आखिर लोग मुझे धर्म निरपेक्ष कैसे कहेंगे .  मेरे शासन में हर गिरजा घर के साथ साथ मंदिर होना चाहिए .
अब वहां मंदिर भी है. लोगों ने राजा के इस कृत्य के लिए उस राजा कि खूब जयजयकार की . आज भी उस देश में उसी राजा का राज है .  

Thursday, February 3, 2011

Doctors need special treament for their ailing soul!!

The hottest place in Hell is reserved for those who remain neutral in times of great moral conflict.

(Anonymous)



One recent incident that has taken place in Bihar (India) where some bodyguards shot at some junior doctors in Gaya Medical College and Hospital. Reason is unknown. Who was at fault is still mysterious. Whatever the reason be prima facie shows that actions done by bodyguards were out of frustration. When you see the conditions of your ward worsening in a government hospital and doctors pay no heed to your repeated requests even the weakest can collect strength to do what the bodyguards did. I strongly support the courage shown by the bodyguards for I have also been a victim of the same circumstances. My one year niece was admitted in Patna Medical College and Hospital with a serious heart disease. When I went to the doctor on duty to request him to see the baby who was feeing breathless, the doctor over there treated so inhuman that anybody can shoot him provided he would have the guts. Had I been had a pistol I would have done the same what the bodyguards have done. I was with my niece for a week there praying each minute to get rid of these doctors. Meseems doctors nowadays enjoy watching dying people in hospitals. They are so insensitive that sometimes I feel they have no hearts. Doctors are criminals in the guise of white coats. My niece died after a few months but the wound still persists on my heart. Today , I hate the doctors most. Wherever you see you will find that doctors are quite insincere towards their duties. Either they are just passing time in government hospitals or they are making money in their own clinics. Medical services have become a business now. I wrote one letter to the Chief Minister of Bihar suggesting him a few measures he must take to improve the conditions in the hospitals but in vain. Mr. Nitish Kumar did not feel even to reply the letter to me. I had suggested him to introduce one paper of Moral Education in Medical Colleges. And those who show sensitiveness towards humanity should be given degrees only. I remember one famous quotation at this point of time of a great philosopher that universities are turning out educated barbarians is correct to its each letter. Today medical colleges are turning out only barbarians. Right from kids level those who wish to become doctors have desire to earn money , repute and nothing else. Nobody thinks of human services.

On a small issue doctors go on strike. They paralyze the entire medical system. I am shocked to see how people bear with these things. They really do not understand what is happening or they do not want to understand. They have closed their eyes or they are really blind. Doctors are demanding to bring some act for their protection. Is there no need to bring some act for protecting common man from these demons in white coats?

Today we are trying to touch the sky in the field of Science and Technology. We are going into the Space to explore new opportunities to let life exist. For whom? Humanity is wounded. It is crying. Scientists world over are researching on new remedies to cure ailments and diseases. Nobody is researching on how to heal souls, how to improve morality, how to put hearts into human beings. Environmentalists, social activists, reformers, feminists are making worldwide discussions on many issues. However, no social activist dares look into ailing hearts of humanity. This is high time to ponder over how we can be human first and then other things. This is the time of greatest moral conflict in human history. Beware !!